Overload relay क्या है और कैसे काम करता है?

Overload relay एक सुरक्षा यंत्र (Protective Device) है, जिसका प्रयोग मोटर को ओवरकरंट (अधिक करंट) से बचाने के लिए किया जाता है। जब मोटर पर लोड ज्यादा हो जाता है और वह अधिक करंट खींचती है, तब ओवरलोड रिले मोटर को बंद कर देता है ताकि मोटर जलने से बच सके।

Overload की स्थिति कैसे होती है?

जब मोटर अपनी निर्धारित क्षमता से अधिक भार उठाने की कोशिश करती है, तो वह सामान्य से अधिक करंट खींचने लगती है। इसे ही ओवरलोड की स्थिति कहते हैं। यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे:

  • पंप में फंसाव: अगर पंप में मिट्टी, रेत या कोई अन्य कण फंस जाएं, तो मोटर पर अधिक लोड पड़ता है।
  • खराब असर (Bearing): मोटर के बियरिंग खराब होने पर घर्षण बढ़ जाता है, जिससे मोटर को घूमने में अधिक ताकत लगती है और करंट भी ज्यादा खींचता है।
  • गलत वायरिंग: अगर वायरिंग सही नहीं हो या कनेक्शन में कोई गलती हो, तो मोटर पर लोड असमान्य रूप से बढ़ सकता है।
  • फेज की कमी (Single Phasing): यदि तीन फेज सप्लाई में से कोई एक फेज कट जाए, तो मोटर दो फेज पर चलने लगती है, जिससे ओवरलोड की स्थिति बन जाती है।

इस प्रकार की स्थितियों से मोटर को बचाने के लिए ओवरलोड रिले और थर्मल प्रोटेक्शन जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जाता है।

Overload relay  कैसे काम करता है?

Overload relay एक सुरक्षा यंत्र है जो मोटर को ओवरकरंट से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक बायमेटलिक स्ट्रिप (Bimetallic Strip) होती है, जो दो अलग-अलग धातुओं से बनी होती है। जब मोटर में करंट सामान्य से अधिक हो जाता है, तो यह स्ट्रिप गरम होकर मुड़ जाती है। इस मुड़ने की क्रिया से रिले के Normally Closed (NC) कंटैक्ट खुल जाते हैं, जिससे मोटर की सप्लाई तुरंत बंद हो जाती है।

🔸 यह प्रक्रिया मोटर को नुकसान से बचाती है।
🔸 ओवरलोड की स्थिति समाप्त होने के बाद, रिले को मैनुअली या ऑटोमेटिक रीसेट किया जा सकता है, जिससे मोटर फिर से चालू हो सके।

इस तरह ओवरलोड रिले एक अहम भूमिका निभाता है मोटर की सुरक्षा सुनिश्चित करने में।

ओवरलोड रिले के मुख्य भाग

Overload relay में कई महत्वपूर्ण भाग होते हैं जो इसे सुरक्षित और प्रभावी बनाते हैं। नीचे इसके मुख्य भागों का विवरण दिया गया है:

🔹 NC Contact (95-96):
यह Normally Closed संपर्क होता है और होल्डिंग सर्किट में इस्तेमाल किया जाता है। ओवरलोड होने पर यह खुल जाता है और मोटर की सप्लाई बंद कर देता है।

🔹 NO Contact (97-98)
यह Normally Open संपर्क होता है, जो इंडिकेशन या अलार्म सिस्टम के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब ओवरलोड होता है, तो यह बंद हो जाता है और इंडिकेशन लैंप या अलार्म चालू हो जाता है।

🔹 Reset बटन:
यह बटन ओवरलोड फॉल्ट हटने के बाद रिले को रीसेट करने के लिए होता है। इससे मोटर दोबारा चालू की जा सकती है। यह मैनुअल या ऑटोमैटिक मोड में हो सकता है।

🔹 Current Setting Dial:
यह डायल मोटर की रेटिंग के अनुसार ओवरलोड करंट की सीमा तय करने के लिए होता है। इससे रिले को इस तरह सेट किया जाता है कि वह मोटर को सही सीमा तक करंट खींचने की अनुमति दे।

इन सभी भागों के समन्वय से Overload relay मोटर को सुरक्षित तरीके से ऑपरेट करने में मदद करता है।

Overload relay को कैसे सेट करें?

Overload relay को सही ढंग से सेट करना मोटर की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। इसे सेट करने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

🔹 मोटर की Nameplate देखें:
सबसे पहले मोटर की नेमप्लेट पर लिखी हुई Full Load Current (FLC) को ध्यान से पढ़ें। यह करंट मोटर की अधिकतम सुरक्षित कार्यशीलता दर्शाता है।

🔹 Overload relayकी Current Setting Dial का उपयोग करें:
रिले पर मौजूद करंट सेटिंग डायल को मोटर की नेमप्लेट पर दिए गए करंट के बराबर सेट करें।

🔹 उदाहरण:
अगर मोटर का फुल लोड करंट 8A लिखा है, तो Overload relay को 8A पर ही सेट करें। इससे मोटर जब 8A से अधिक करंट खींचेगी, तो रिले ट्रिप होकर मोटर की सप्लाई बंद कर देगा।

इस तरह से रिले को मोटर की करंट रेटिंग के अनुसार सेट करने से ओवरलोड की स्थिति में मोटर सुरक्षित रहती है और किसी भी प्रकार की क्षति से बचाई जा सकती है।

Overload relay सेट करते समय सावधानियां:

Thermal overload relay की सेटिंग करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि मोटर सही तरीके से और सुरक्षित रूप से काम कर सके। नीचे कुछ मुख्य सावधानियां दी गई हैं:

🔸 बहुत कम करंट पर सेट करने से:
अगर रिले को मोटर की जरूरत से कम करंट पर सेट कर दिया जाए, तो मोटर बार-बार ट्रिप करेगी। इससे उत्पादन में रुकावट आ सकती है और बार-बार मोटर को चालू करना पड़ेगा।

🔸 बहुत अधिक करंट पर सेट करने से:
अगर रिले को बहुत ज्यादा करंट पर सेट कर दिया जाए, तो ओवरलोड की स्थिति में रिले ट्रिप नहीं करेगा, जिससे मोटर जलने या खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

🔸 वायरिंग में सही कनेक्शन:
रिले के NC कॉन्टैक्ट (95-96) को कंटैक्टर की कॉइल के साथ सीरीज में जोड़ा जाना चाहिए, ताकि ट्रिप होने की स्थिति में मोटर की सप्लाई तुरंत बंद हो सके।

इन सावधानियों का पालन करने से ओवरलोड रिले प्रभावी ढंग से काम करता है और मोटर को ओवरकरंट से बचाता है।

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